Friday 1 May 2015

हनुमान के साथ इस मंदिर में पूजे जाते हैं ये दो राक्षस -

क्या आपने कभी किसी राक्षस की पूजा की है? शायद नहीं की होगी, जिसके पास 33 करोड़ देवी-देवता हो, उसे भला किसी राक्षस की पूजा करने की क्या जरूरत है! आप ने हमेशा मंदिर में भगवान की प्रतिमा देखी है. जरा सोचिए किसी मंदिर में आपके प्रिय भगवान के साथ कोई राक्षस विराजमान हो तो? जी हाँ यह कोई काल्पनिक बात नहीं है बल्कि सच्ची घटना है.
झांसी के पास पंचकुइयां इलाके में संकटमोचन महावीर बजरंबली जी का मंदिर है. इस मंदिर में बजरंबली के साथ दो राक्षसों की भी पूजा जाती है. यह दो राक्षस हैं रावण का बहुत प्रिय अहिरावण और महिरावण. यह मंदिर रामायण के लंकाकांड में हनुमान जी द्वारा अहिरावण और महिरावण वध की कथा को बताता है. पुरातत्‍वविदों के मतानुसार, चिंताहरण हनुमान जी का यह मंदिर लगभग 300 वर्ष पुराना है.
वीर हनुमान का यह प्रतिमा पांच फुट ऊंचा है. महावीर के कंधे पर श्रीराम और लक्ष्‍मण जी विराजमान हैं और पैरों से एक तांत्रिक देवी को कुचलते हुए दिखाया गया है. इसी प्रतिमा के साथ ही अहिरावण और महिरावण की प्रतिमाएं भी हैं. इस प्रतिमा में तांत्रिक देवी की मां हनुमान जी से क्षमा मांगते दिख रही है. प्रतिमा के दाएं ओर हनुमान जी के पुत्र मकरध्‍वज भी है.
इस मंदिर में प्रत्येक सोमवार और मंगलवार को भक्‍त आटे का दिया जलाकर अपनी इच्छाओं को पूर्ण होने के लिए प्रार्थना करते हैं. इच्छा पूर्ति के बाद भगवान को चढ़ावा अर्पित किया जाता है. यह चढ़ावा हनुमान के साथ दोनों राक्षसों के लिए भी होता है. यहाँ पुरानी मान्यता है कि इस मंदिर में लगातार पांच मंगलवार तक आटे का दिपक जलाने से भक्‍तों के सारे कष्‍ट दूर हो जाते हैं और उनकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है.
मान्यता है कि भगवान राम और रावण का युद्ध जब चरम पर था. तब रावण का भाई अहिरावण भगवान राम और लक्ष्मण का अपहरण कर मां भवानी के सामने बली देने के लिए पाताल-लोक ले गया. मां भवानी के सम्मुख श्री राम एवं लक्ष्मण की बलि देने की पूरी तैयारी हो गई थी पर जैसे ही अहिरावण ने अपनी कुल देवी के सामने राम-लक्ष्‍मण की बलि देने के लिए तैयार हुआ तभी हनुमान जी ने कुल देवी को अपने पैरों के नीचे कुचल दिया और अहिरावण-महिरावण को मार डाला.
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2 comments:

  1. हणमन जी भगवान शिवजी का ही अवतार हैं और अग्यारवे रुद्र भी है। जय हनूमन्ते नम:

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  2. hindu dharm me 33 Crore nahi 33koti devta hai
    jo is prakar hai
    8-Vasu, 11-Rudra, and 12-Aaditya, 1-Indra and 1-Prajaapati.
    kripya aap ukt lekh me sudhaar kare...

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